Wednesday, August 29, 2018

If trees spoke a language that humans understood - Ranjan Panda




शोला था जल-बुझा हूँ हवायें मुझे न दो 

मैं कब का जा चुका हूँ सदायें मुझे न दो


जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया 
अब तुम तो ज़िन्दगी की दुआयें मुझे न दो...

(Ahmed Faraz)

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